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savitribai phule जयंती, सावित्रीबाई फुले को मराठी की आदिकवियत्री के रुप में भी जाना जाता है

savitribai phule का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था,

इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था, सावित्रीबाई फुले का विवाह  1841 में ज्योतिराव फुले से हुआ था, सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं.

 

उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है, महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है, ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक गुरु और समर्थक थे, सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था,

 

savitribai phule सामाजिक मुश्किलें

savitribai phule उन पर गंदगी फेंक देते थे, वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग उनपर पत्थर मारते थे,  आज से 191 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था तब ऐसा होता था, सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं,  जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे, सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं,हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया, अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं,

 

savitribai phule पर प्रकाशित साहित्य

    निधन

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीजों की सेवा करती थीं. एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई.

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